पीएनएन ब्रेकिंग — ….. जब लोगो का आक्रोश भड़का तो प्रशासन की तन्द्रा टूटी। डम्परो के आतंक को लेकर प्रशासन की मैराथन बैठक।

पांवटा साहिब — बीते तकरीबन एक दशक से स्थानीय वासी खनन के डम्परो के ताण्डव से त्राहि त्राहि कर चुके थे और प्रशासन आखो पर पट्टी बांध कर तमाशबीन बना हुआ था। ​स्थिति यहां तक पहूंच गयी थी कि आए दिन सड़क दुर्घटनाए, लोगो के घरो में डम्परो का घुस जाना, किसी भी दोपहिया या पैदल चलने वाले को मौत की नीद सुला देना और इससे भी ज्यादा भयंकर और चालाकभरी स्थिति यह थी ​कि बिना नम्बर प्लेट और कुछ तो नम्बर प्लेट पर मिट्टी या कीचड लगा कर खनन के कार्यो मे जुटे हुए थे।

जब स्थानीय लोगो की सहनशक्ति जवाब दे गयी तो इलाके के ग्रामीणो ने जाम लगाना शुरू कर दिया हालाकि जाम सैकडो बार लगाया गया किन्तु प्रशासन की नीद जब खुली कि एडीसी का भी रास्ता रोक लिया और मंत्री का भी रास्ता रोक लिया। किन्तु मंत्री की काबिलेतारीफ यह रही कि बडे ही सलीके से लोगो की समस्या को सुना और जनता के सहयोग से एसडीएम कार्यालय में एक सामूहिक बैठक आहूत की गयी जिसमें लोगो ने अपने अपने सुझाव दिए।

यहां यह कहना भी अपरिहार्य ना होगा कि इसी व्यवसाय से प्रदेश सरकार को तकरीबन साठ करोड की आमदनी भी होती है ​जिसमें करीब करीब 10 प्रकार के टैक्स जो सही मायने में क्रशर मालिक सरकार को देते है। इसके अलावा पांवटा साहिब के रामपुर घाट मानपुर देवडा नवादा आदि आदि क्रशरो पर लगभग ढाई हजार परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हुए है। जिनके परिवार भी इसी व्यवसाय से चल रहे है।

माइनिंग विभाग से जुडे एक सूत्र ने बताया कि एक टन माल पर तकरीबन दौ सौ रूपये सरकार को जाते है। दूसरा डीएमएफटी टैक्स भी लगता है। तीसरा टीसीएस टैक्स कलेक्शन सोर्स और तो और सरकार की ओर से दो दो बार जीएसटी लगाया जाता है एक बार 18 प्रतिशत दूसरा 5 प्रतिशत एक और टैक्स सरकार ने ठौक रखा है जिसे सीजीसीआर कहा जाता है सर्टैन गुड्स कैरीड आन रोड जो कि दस रूपये प्रति टन लगाया जाता है और हद तो सरकार की ओर यह भी हो गयी है कि सीएसआर का पैसा भी सरकारी खजाने में जा रहा है । इसके बाद बिजली के बिल भी दो गुना हो गए है। कुल मिलाकर स्थिति यह है कि स्टोन क्रशर चलाने के लिए ऐडी से चोटी तक का जोर लगाना पडता है साथ ही लोगो की बेगारे कई मर्तबा तो चुनाव आदि की ओर भी ध्यान रखना पडता है। खासबात यह भी है कि पहले डेढ मीटर तक खुदाई कर सकते थे किन्तु सरकार ने वरदहस्त रखते हुए उसी खुदाई को 10 फीट तक कर दिया है इसके अलावा परमानेन्ट पंजीकरण पर भी लाखो रूपये सरकारी खाते में जमा होते है।

और हैरत की बात है कि जने खने फेस बुकिए अधिकारियो को फोन कर अनावश्यक रूप से धमकाने और पत्ती लेने से गुरेज भी नही कर रहे है हर कोई जिसे क ख ग भी नही पता वह भी फेस बुक लाइव करके अपनी तुच्छ सी बुद्धिमता का परिचय देने से नही चुक रहे। कुछ तो ऐसे भी है कि जिनको ना तो लिखना आता है और ना ही बोलना आताहै वे भी फेसबुक से कन्टेन्ट उठाकर कट पेस्ट मार स्वयंभू कलमकार बन बैठे है। और कुछ ऐसे भी है जिनके उपर यह कहावत भी चरितार्थ होती है कि ” घर में नही है दाने अम्मा चली भुनाने। किसी साहित्यकार ने तो यह भी कहा है कि ” ना तो पीने का सलीका और ना पिलाने का सउर एैसे एैसे लोग भी महफिल में चले आते है।”

खेैर जो भी हो पता यह भी चला है कि मंत्री के आदेश के बाद प्रशासन सख्त रूख अख्तियार करने और कोई ठोस नीति बनाते हुए इस समस्या का समाधान कर जनता को राहत दिलवाने के मूड में जुट गया है। बीते दिनो एसडीएम कार्यालय में जो बैठक आहूत की गयी उसके परिणाम शीघ्र ही प्रत्यक्ष रूप से सामने आने की सम्भावनाओ से इंकार नही किया जा सकता।

इस बैठक में आम जन थे। विधायक चौ0 सुखराम थे एसडीएम गुन्जीत सिंह चीमा, डीएसपी पांवटा मानवेन्द्र ठाकुर मंत्री हर्ष वर्धन चौहान, कांग्रेस के युवा नेता अवनीत सिंह लाम्बा सहित दर्जनो की संख्या में शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे जिन्होने समय समय पर अपने अपने विचार रखे और प्रशासन ने सभी के विचारो को बडी ही गहनता से लिया और अमलीजामा पहनाने के प्रयासरत है।

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