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पांवटा साहिब :— बीते 8 दिसम्बर को अनायास ही गुरूद्वारा श्री पांवटा साहिब के सामने सरदार मोहकम सिंह से मुलाकात हो गयी। उन्होने पितामह को पहचान लिया और छोटे भाई को हाथ देकर वाहन रोक लिया। साथ ही बैठ गए। पहले तो काफी मंगवाई और कुछ नमकीन उसके बाद सिलसिला शुरू हुआ बातचीत का। बातचीत के दौरान कई खुलासे किए। और कई राज ऐसे बताए जो कि शहर का इतिहास है। कई बार मन में आ ही रहा था कि किसी ऐसे बुजुर्ग का सानिध्य मिले और शहर के इतिहास की सत्यता पता लगे।
यह भी बताते चले कि सरदार मोहकम सिंह को उम्र के इस पडाव पर भी अपने बुजुर्गो के नाम अपना बचपन व जवानी का हर दौर याद है। उनको यह भी याद है कि जब उनकी दादी वर्ष 1954-55 में उन्हें और उनके छोटे भाई स्वर्गीय तेजिंदर सिंह को पीठ पर बांधकर घोड़े पर गिरी नदी के उफान को झेलते हुए भगानी साहिब गुरूद्वारा पर माथा टेककर शाम को वापस घर आजाती थी । बताते है कि सरदार मोहकम सिंह पुत्र महंत गुरदयाल सिंह पुत्र महंत लहना सिंह पुत्र महंत हरनाम सिंह पुत्र महंत साहब सिंह यह सब उन्होने जुवानी बताया।
पांवटा साहिब का पहला परिवार होने के नाते हम बहुत सी बातें जानने के लिए उत्सुक थे। फिर उन्होंने मुझे बताया, जब अंग्रेजों ने पहली बार भारत में भूमि कानून पेश किए और भूमि धारकों का रिकॉर्ड रखना शुरू किया, तो वर्ष 1878 में पांवटा साहिब की पहली जमाबंदी बनाई गई, जिसमें सिर्फ 5 बीघा जमीन थी। और वह जमीन उनके परदादा सरदार साहब सिंह के नाम पर थी। फिर हर 5 साल बाद जमीन दर्ज की जाती थी। इस तरह अगले 50 वर्षों में यह धीरे-धीरे बढ़कर हजार बीघा से अधिक हो गई। जिसको आज की तारीख में उपसंपदा पांवटा साहिब 1-2 बोला जाता है।
इसके बाद फिर बातो का अलग दौर शुरू हुआ कि उनका जन्म अगस्त 8 को 1949 को हुआ था । उस जमाने में उन्होने दसवी कक्षा तक शिक्षा दीक्षा ग्रहण की और पिता श्री की सडक दुर्घटना के कारण बीच में पढाई छोडनी पडी थी। उसके बाद 1969 में उनका विवाह सम्पन्न हुआ।
फिर जहन में इच्छा उत्पन्न हुई पूछा गया कि क्या कुछ था जो अंग्रेेजो व रियासत की कुछ पुरानी वह अहम बाते बताए । तो फिर उन्होने बताया कि जहां वर्तमान मे पशु चिकित्सालय है वहां राजा का अस्तबल होता था जहां राजा के घोडेा को बाधा जाता था।
सरदार मोहकम सिंह पांवटा के नम्बरदार है । उन्होने वह समय भी देखा है । पांवटा व उत्तर प्रदेश को जोडने वाला पुल भी उनके सामने 1978 में बना था जो कि गैमन इण्डिया कम्पनी ने बनाया था। कुछ वार्तालाप के दौरान उन्होने पुरानी कुछ तस्वीरे दिखाई जो पुल नही होता था तो स्थानीय लोग कैसे यमुना नदी को कैसे पार करते थे।
सरदार मोहकम सिंह ने खास बात यह भी बताई कि बीते दो हजार वर्षो के ऐतिहासिक दस्तावेज अमेरिका की मिशियन युनिवर्सिटी के तहत एक डिजिटाइज्ड प्रोग्राम में पडे है। जिसमें कि 1964 के गोली काण्ड की जांच रिपोर्ट भी आम जन के लिये गूगल बुक्स पर ओपन करवा दी गयी है। और चलते चलते जहन में काफी समय से नाले का मुद्दा भी गूजता रहता है और मीडिया, सरकार व वोट बैक की सुर्खिया भी बटोरता रहता है तो
‘ सरदार मोहकम सिंह बताते है कि वार्ड नम्बर 5 में गंदा नाला के साथ लगते जितने भी घर बने है सभी ने गैर कानूनी बना रखे है उनका परिवार आज भी मालिक है दो तीन घरो को छोडकर किसी के पास भी रजिस्ट्री नही है। जिसमें सरकारी जमीन भी है और गुरूद्वारा साहिब की जमीन भी है। गन्दे नाले के दोनो साइड पिंन्क कलर की जमीन का हिस्सा सरकारी है नीले कलर की जमीन गुरूद्वारा श्री पांवटा साहिब के नाम है। आरेन्ज रंग की दर्शाई हुई जमीन संयुक्त खाता है लेमन कलर की जमीन सरदार मोहकम सिंह और उनके परिवार की है
सरदार मोहकम सिंह ने कहा कि उनके निशाने पर कई अधिकारी है जो उनकी जमीनेो में हेराफेरी कर अपनी रोटी सैकना चाहते है बीते चालीस वर्षो से पारिवारिक विवाद चला हुआ है और उन्ही विवादो के कारण शहर के छुटभैये नेता वक्त—दर—वक्त इन जमीनो पर गैर कानूनी अतिक्रमण करवाते चले आए है।कई मामले अदालतो में विचाराधीन है और पिछले तीन वर्षो से लेकर पिछले पचास वर्षो तक की राजस्व विभाग की करतूतो को एक तराजू में तोलते का मादा रखता हूं। जब पितामह ने सवाल दागा कि गन्दे नाले का प्रकरण बताओ तो उन्होने बताया कि जब एक आला अधिकारी सीएम की घोषणा को कानूनी तौर पर अमलीजामा नही पहना सकते और उसके बावजूद सीएम की घोषणा वाली फाइल को इतनी गम्भीर लापरवाही से चलाया तो उनको बहुत दुख प्रकट करते बताया कि कैसे ये शहर जो गुरू की नगरी है इसका भविष्य क्या होगा और ऐसे अधिकारियो पर नकेल कौन कसेगा।
उन्होने यह भी कहा कि प्रशासन चाहे तो वे विस्तृत चर्चा के लिये तैयार है और सभी अनाधिकृत बैठे वार्ड नम्बर पाचं के नाले के आस पास के लोगो के साथ लगे गन्दे नाले की समस्या का अस्थाई समाधान के लिये हर समय तैयार है जो कि उन्होने 2022 में लिखित तौर पर दिया जा चुका था। पर चार करोड का सरकारी खजाना लूटने के लिये अफसरशाही उस बात तो दरकिनार कर दिया। उनका बहुत प्रेम है जो लोग वहां रहते है और उनकी पीढा समझते है किन्तु राजनीति व वोट बैक के लालच में और करप्ट अफसरशाही के कारण यह सन्देश उपर तक नही पहूंच पाया और सारी बाते व दस्तावेज फाइलो में धूल फांकते रह गये।