पांवटा साहिब — यूं तो डा. जे पी सिंह किसी भी प्रकार के परिचय के मोहताज नही है और ऐसे व्यक्तित्व का परिचय करवाना भी सूरज को एक छोटा सा दीपक दिखाने के समान ही हे। सरकार की एवं प्रदेश की प्रबुद्ध जनता का यह सौभाग्य है कि इतने विद्धान अफसर, डाइनामिक अफसर हिमाचल सरकार मेे अपनी सेवाऐ दे रहे है।
खासबात यह भी बताते चले कि जब तक सिरमौर के एसपी पद का कार्यभार सम्हाल बडे सुचारू ढंग से आपसी भाई चारा , सेवाभाव और खास कर देशभक्ति का भाव इनमें दिखा। इनके मुखार बिन्दु से थोडी ही देर इनके पास कोई बैठ जाय तो उसका दिल और मन दोनो ही प्रफुल्लित हो जाता है।
काफी मिलनसार, मृदुभाषी होने के साथ साथ बहुत ही सामाजिक प्राणी है। इनके प्यार की पराकाष्ठा यह भी है कि जिस जिले में या उप मण्डल में जाते है वहां इनसे मिलने वालो का तांता लग जाता है। और हर किसी से आत्मीयता से मिलते है।
अब बताते है कारगिल का किस्सा :—कारगिल विजय-दिवस’ घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों पर भारतीय सैनिकों की जीत के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 26 जुलाई को मनाया जाता है।
मुझे भी भारतीय सेना में और खासकर कारगिल में, एक सैन्य अधिकारी के रूप में, भारत-माता की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। कारगिल की औसत ऊँचाई करीब 9000 फीट है। ऑक्सीजन कम है। तब मैं, एक कैप्टन के रूप में, साल 1999 के कारगिल-युद्ध से पूर्व, करीब डेढ़ साल तक, वहाँ तैनात रहा हूँ। इसी दौरान करीब 19000 फीट की ऊँचाई पर करीब 8 महीने LoC पर रहा जहाँ का औसत तापमान माइनस 20 (-20 Degree Celsius) से माइनस 40 (-40 Degree Celsius) तक था। रोज करीब 10 फीट बर्फ पड़ती थी। ऑक्सीजन अत्यंत कम और ठंड इतनी ज्यादा ! फिर भी, भारत-माता को याद करके, जोश में कोई कमी न थी। जिम्मेवारी पूरी निष्ठा से निभाया।
भगवान कृष्ण भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय में अर्जुन से कहते हैं :
“हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्। तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः ।।2.37।।”
(अर्थ : अगर युद्ध में तू मारा जाएगा तो स्वर्ग की प्राप्ति होगी और अगर युद्ध में तू जीत जाएगा तो पृथ्वी का राज्य भोगेगा। इसलिए, हे कुन्तीनन्दन ! तू युद्ध के लिए तत्पर होके खड़ा हो जा।)
(विशेषार्थ : इस श्लोक के माध्यम से भगवान कृष्ण ने कहा है कि जिस स्वर्ग की प्राप्ति के लिए ऋषि, मुनि, योगी, सन्त, संन्यासी और गृहस्थ यज्ञ, तप, योग और निष्काम-कर्मयोग जैसे कठिन प्रयास करते हैं, वह हर सैनिक को सैन्य-धर्म के पालन से ही मिल जाता है। इसप्रकार मातृ-भूमि की रक्षा में मृत्यु भी स्वर्गदायी है।)
इसलिए मेरे मन में भी यही भाव रहता था :
“देश से है प्यार तो हरपल यह कहना चाहिए।
मैं रहूं या ना रहूं भारत ये रहना चाहिए।।”
आज का दिन संकल्प लेने का दिन है कि हम कभी भी अपने तिरंगे को झुकने नहीं देंगे। 1999 कारगिल युद्ध में दुश्मनों को पराजित कर समस्त देशवासियों को गौरवान्वित करने वाले माँ भारती के वीर सपूतों को नमन एवं आप सभी को कारगिल विजय-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय हिंद !
डा0 जे0पी0 सिंह
जेपी सिंह की पोस्ट से साभार