पीएनएन सम्पादकीय :— अधिकारी गिड़गिड़ाते रहे। बजरंगी अड़े रहे। मामला गौकशी का।

…….ये तो होना ही था। यह पूर्व निश्चित था । जिस प्रकार प्रवासियो की, बाहरी राज्य के लोगो की आमद बढ रही थी। पांवटा को बदमाशो की शरण स्थली बनाकर रख डाला था। रेहडी वाले, फडी वाले, ईरिक्शा चालक, जंगलो में सरकारी जमीनो पर कव्जाधारी वन विभाग की मेहरबानी के चलते, आदि आदि ने देवभूमि व शान्त तथा आपसी सौहार्द के लिये मिसाल कहे जाने वाले गुरू गोविन्द सिंह की नगरी को सहारनपुर बना कर रख दिया था। जिसमें स्थानीय व आमजन को सडक पर निकलते तक में दिक्कते आ रही थी। यातायात भी बाधित हो रहा था। मुख्य बाजार में कही भी रेहडी लगाकर खडा कर देने वाले बाहरी राज्य के लोगो ने बाजार में वाई प्वाइंट से लेकर बाल्मीकी चौक तक की स्थिति सहारनपुर जैसी बना डाली । इसके अलावा शहर के बाहर दूर दराज के इलाको में दिन में टूटा पुराना लोहा खरीदने वालो के आका दर्जनो की संख्या में शहर में तैनात हो गये। ऐसा नही है कि मीडिया कर्मियो ने समय समय पर प्रशासन को आगाह नही किया। करते रहे किन्तु किसी के कान पर जूं तक ना रेगी। और अन्ततोगत्वा प्रशासन को अपनी करनी का फल भेागना पडा। बेकाबू, आक्रोशित भीड के समझ सिर झुकाए, हाथ जोडते और गिड़गिड़ाते नजर आए।

दिन भर के घटनाक्रम के बाद आज पुलिस ने त्वरित कार्यवाही को अमलीजामा पहनाने के लिये कमर कस ली है। ताकि ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति ना हो सके। आला अधिकारियो से सलाह मशवरा भी कर लिया गया है।

हालाकि जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे सोशल मीडिया की ताकत ने पूरे प्रदेशभर में सनसनी फैला दी। मौका देखकर लोगो की भावनाओ को आहत होता देख विधायक चौधरी सुखराम ने भी मोर्चा सम्हाल लिया और आमजन के साथ सडको पर बैठ गए। उनका बैठना भी जायज ही था कि एक तो वे हर समय जनता के बीच में रहते है लोगो के साथ तालमेल भी ठीक,अच्छा, व माधुर्य रखते है दूसरी बात यह भी सही है कि विपक्ष में है तो उन्होने इस मौके को हाथ जाने देना नही चाहा।

वह दिन भी याद करवा दे कि रामपुर घाट में बीते वर्ष बाहरी राज्य के लोगो ने स्थानीय युवक के साथ मारपीट भी की और बाद में हास्पीटल में जाकर भी तलवारे आदि चलाई जिसका मामला दर्ज है।

वन विभाग व प्रशासन को चाहिऐ कि ऐसे लोगो की शिनाख्त करते और बाहर का रास्ता दिखाए।


इतना ही नही स्थानीय जनता जनार्दन का भी समाज के प्रति कर्तव्य और फर्ज बनता है कि अपनी अपनी दुकानो को मकान को देखभाल कर किराए पर चढाए और त्वरित प्रभाव से सम्बन्धित पुलिस थाना में जाकर वैरीफिकेशन के लिये प्रार्थनापत्र दे। याद रखे सुरक्षा में ही बचाव है। जब तक आम आदमी सजग जागरूक नही होगा तब ​तक पुलिस और प्रशासन ने भी ठेका नही ले रखा है कि इतनी कम फोर्स होने के बावजूद भी सभी का ध्यान रखा जा सके। जिसमें ड्यूटी, वीआईपी ड्यूटी, अदालत की ड्यूटी यातायात की ड्यूटी, सम्मन भेजने की ड्यूटी,कोर्ट ड्यूटी, अपराधियो की धर पकड, वीआईपी मूवमेन्ट की ड्यूटी आखिर कितने घन्टे! आम जनता को यह भी आभास होना चाहिऐ कि पुलिस वाले भी इंसान ही है हम सब के बीच के ही लोग है इंसान है व्यक्ति है उनमें व्यक्तित्व भी है मानवता भी है सत्यनिष्ठा भी है कुछेक चालाक और चापलूस भी होते है जैसे पांचो अगुलियां एक जैसी नही होते ठीक वैसे ही।

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