सम्पादकीय :— शहर में डम्परो का ताण्डव। आए दिन हो रही दुर्घटनाऐं।

पांवटा साहिब — तरूण की कलम से । अभी हाल ही में समीप के गांव खोडोवाला में एक अनियंत्रित डम्पर द्वारा सत्ताईस वर्षीय की युवक की दर्दनाक मौत ने शहरवासियो को झकझोर कर रख दिया। स्थिति इतनी विकट उत्पन्न हो गयी कि अनियंत्रित भीड का गुस्सा फूट पडा और रास्ता जाम कर दिया।

गौर रहे कि कई मर्तबा गांव वासी तीव्र गति और ओवरलोडेड चलने वाले डम्पर, सडक की दुर्दशा आदि को लेकर कई बार सम्बन्धित अधिकारियो से गुहार भी लगा चुके किन्तु जुगाडू एक्सईएन के कान पर जूं तक नही रेगी। पहले ये एसडीओ थे और एक्सईएन की कुर्सी का अतिरिक्त कार्यभार लेकर अपनी आत्म सन्तुष्ठि कर ली। किन्तु राजनैतिक वरदहस्त के कारण जनता को सन्तुष्ठ करने में नाकामयाब रहे। स्थिति यह उत्पन्न हो गयी कि कथित साहब भरी भीड़ के सामने सिर नीचा करके जनता के कोपभाजन का शिकार होते रहे।

यह भी गौर देने को योग्य बात है कि यदि मौका पर एसडीएम गुन्जीत सिंह चीमा और ऋषभ शर्मा ना होते तो कुछ भी अहित हो सकता था। जैसा कि वीडियो में दिखाया जा रहा है। गुस्साए लोगो ने एक्सईएन को जमकर खरी खोटी सुनाई। इस मौके पर विधायक भी मौजूद थे।

स्थिति यह है कि प्रशासन और सरकार स्थानीय जनता की इस समस्या से निजात दिलाने में नाकामयाब साबित हो रहे है। आए दिन दुर्घटनाऐ हो रही है। शहर में वाहनो की आवाजाही बढ गयी है।

हैरत तो इस बात की भी है कि पुलिस दिन मे तो स्थानीय दो पहिया वाहन या छोटे वाहनो के चालान करती दिखाई देती है किन्तु रात्रि के समय बिना नम्बर प्लेट के डम्परो को खुल्ली छूट है। ओवर लोडिग को भी खुल्ली छूट है। तीव्र गति को भी खुली छूट है और सरकार को चूना लगाने पर भी कोई पाबन्दी नही है।

यह भी बताते चले कि जिस पुल से डम्पर निकलते है उसकी भार क्षमता मात्र दस टन तक ही है। दूसरी बात यह भी बताते चले कि उत्तराखण्ड और हिमाचल को जोडने वाले एकमात्र पुल यमुना पुल की हालत भी जर्जर हो चुकी है इस बारे में सर्वे टीम ने स्थानीय प्रशासन को कई वर्ष पहले ही आगाह कर दिया है।

यह भी सनद रहे कि यमुना ब्रिज 1978 में गैमन कम्पनी ने बनाया था उस समय इतने स्टोन क्रशर भी नही थे। किन्तु वर्तमान समय में भार क्षमता से अधिक वाहन पुल पर खडे पाए जाते है। जिस कारण कभी भी कोई बडी अनहोनी होने की सम्भावनाओ से इंकार भी नही किया जा सकता। और सम्भवतया उद्योगपतियो को स्थानीय जनता के साथ पडोसी राज्यो के लोगो को भी भारी समस्याओ का सामना करना पड सकता है। इस बारे में कई मीडिया हाउस प्रमुखता से उठा भी चुके है। किन्तु कान पर जूं तक किसी के नही रेग रही।

शहर की स्थिति यह आ चुकी है कि पडोसी राज्यो से आने वाले रिश्तेदारो को स्थानीय लोग पहले ही फोन करके बोल देते है कि पांवटा साहिब आना है तो सांय आठ बजे से पहले ही आ जाना वरना यहां प्रशासन तो नाकारा साबित हो रहा है। और डम्पर चालको की गुण्डागर्दी सातवे आसमान पर है। खनन माफियाओ की उंची पहुंच ने स्थानीय नगर वासियो को परेशान करके रख दिया है। और वह दिन भी दूर नही जब डम्परो की समस्या को लेकर समूचे शहर में लोग सडको पर उतर आए और फिर प्रशासन को मिन्नते करनी पड जाए।

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