पांवटा साहिब —अभी अभी थोडी ही देर पहले पीएनएन ने लोनिवि की जमीन पर अवैध कव्जा और वसूली यानि कि कलेक्शन को लेकर जैसे ही समचार ब्रेक किया कि लोनिवि हरकत मे आ गया है। लेानिवि के आला अफसरो ने एक चिठ्ठी पितामह को भेजते हुए बताया है कि विभाग पहले से चौकन्ना है लोगो की डिमाण्ड पर एक दिसम्बर 2023 को एक पत्र राजस्व विभाग यानि कि तहसीलदार पांवटा को लिख दिया गया था कि जमीन की निशान देही करवा दी जाय यह आम लोगो की डिमाण्ड है। यह पत्र राजस्व विभाग ने 2 दिसम्बर को रिसीव कर लिया था। और निशानदेही अभी तक नही हुई है।
सवाल है कि लोनिवि को अभी तक यह नही पता है कि जमीन है किसकी। जबकि साथ लगते खेत के भूस्वामी ने अपनी तारबड बीते कई दशको से की हुई है। और ना ही वहां पर किसी भी प्रकार खेती होती है तारबाड के बाद सडक के साथ लगती लोनिवि की बताई जारही है । हालांकि राजस्व विभाग के दस्तावेज देखने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि लोनिवि की जमीन कहां से शुरू होती है।
ऐसा होता है भृष्टाचार का खेला। :— यहां भी पत्राचार करके अपना अपना कालर बचाते हुए अधिकारी ऐसा खेला कर जाते है कि लोगो को कानोकान खबर तक नही होती। यहां भी इसी प्रकार का खेला होने की सम्भावनाओ से इंकार नही किया जा सकता। ठीक इसी तर्ज पर आईपीएच की जमीन पर गिरीपार के उन लोगो ने कव्जा कर लिया जो कि शुभखेडा स्थित नहर थी अब उस नजर को बन्द कर दिया गया है नहर के बीचो बीच से 19 फुट दांये और 19 फुट बाए आईपीएच की जमीन थी। आईपीएच के पटवारी ने लोगो से मिली भगत करके दस्तावेज ही गायब कर दिए और राजस्व विभाग में वह जमीन चढाई हीनही गयी और राजस्व विभाग की कानूनगो ने निजी लोगो को. ऐसी निशानदेही कि नहर तक लोगो ने मकान बना डाले और कव्जा कर लिया। सम्भवतया यहां भी इसी प्रकार का खेला होनेकी सम्भावनओ से इंकार नही किया जा सकता।
बहरहाल बात यहां तक तो पहूंच गयी है कि निशानदेही होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। किन्तु यहां भी एक सवाल तो खडा होता ही है कि इतने लम्बे समय से यहां से कलेक्शन आखिर कौन कर रहा है और क्यो कर रहा है। अधिकारियो को पहले ही चेत जाना चाहिए था। नगर पालिका परिषद वाकायदा यहां के स्ट्रीट वेण्डर्स की रसीद भी काट कर दे रही है। तो ऐसे में अब रोजाना की दिहाडी कमाने वाले रेहडी लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले कहां जाऐगे क्या ऐसी स्थिति में स्वरोजगार योजना के तहत लोनिवि ऐसे परिवारो को स्थाई ठिकाना देगा यह भी सवाल है हालांकि सरकार गरीबो की हितैषी है किन्तु दर्जनो की संख्या में अपने परिवार का भरण पोषण करने वालेो की सांसे अटकी हुई है।
इससे भी ज्यादा हैरत की बात तो यह भी है कि प्रशासन को खासतौर एसडीएम पांवटा को इस बात का भी संज्ञान लेना चाहिए कि इस सरकारी जमीन पर यदि प्रशासन स्ट्रीट वेण्डर्स को जगह मुहैया करवाता है तो स्थानीय लोगो को ही वरीयता मिलनी चाहिए ना कि गैर हिमाचलियो को जिनकी देवभूमि पांवटा मेे दिन प्रतिदिन आमद बढती चली जा रही है।
अव्वल तो देखना अब यह होगा कि निशानदेही कब और कैसे होती है और परिणाम क्या निकलते है प्रशासनिक अधिकारी क्या संज्ञान लेते है। ताकि सरकारी खजाने का नुकसान भी ना हो और गरीबो के पेट पर लात भी ना पडे।