मुम्बई से पीएनएन की खास रपट।
मुम्बई :— 18 जून की देर सांय जैसे ही मुम्बई हवाई अड्डा पर विमान उतरा तो होटल के समीप एक ऐसे शख्स से अनायास यूं ही मुलाकात हो गयी जो बारिश मे भीग रहा था और लिफ्ट मांग रहा था। पीएनएन ने युवक का जज्वा भांप लिया और परिचय पूछा तो सिलसिला बातचीत का शुरू हो गया। हमने अपने वाहन मेंं लिफ्ट दे दी और सडक किनारे एक चाय की दुकान पर वाहन रोक दियाा चाय की चुस्की लेते लेते बात यहां तक पहूंच गयी कि एक दूसरे के मोबाइल नम्बरो का आदान प्रदान हो गया और दूसरे दिन प्रात : गुड मानिंग सर का सन्देश प्राप्त हुआ उसके बाद शाम को मिलने कासमय सुनिश्चित किया तो पता चला कि वह दिन में एक थियेटर में प्रशिक्षण ले रहा है और दो जून की रोटी के लिये रात्रि में नौकरी कर रहा है। ताकि पेट भी भरा जासके।
इससे पहले यह भी बताते चले कि युवक कृष्ण टुटेजा मुम्बई की जानी मानी फर्म केवाईसी में कार्यरत था और कम्पनी के निदेशक अनिल कुमार के यहां मात्र छै महीने काम किया और अनायास काम छोड दिया पहले तो कम्पनी मालिक थोडे से नाराज हुए किन्तु युवक का जज्वा देख उसे अपने एक निजी फ्लेट में रहने की अनुमति भीप्रदान कर दी। कृष्ण टुटेजा ने बताया कि केवाईसी के निदेशक अनिल कुमार इतने कोमल हृदय व्यक्ति है कि जिनकी जितनी प्रसंशा की जाए कम ही होगी।
कृष्ण टुटेजा ने यह भी बताया कि वह पांच बहिनो का अकेला भाई है उसके पिता कई दशक पूर्व साइकिल पर सिलेण्डर सप्लाई करते थे और उसके बाद समौसे की दुकान भी चलाते थे जिसके चलते चार बहिनो की शादी भी बडी धूमधाम से की और बेटे को पढाने के लिये कभी हरियाणा तो कभी गुजरात तो कभी चण्डीगढ यूनिवर्सिटी से पढाई पूरी करवाई।
जीवन की प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा वन्दना हाई स्कूल हरियाणा से हुई 7वी और 8वी की परीक्षा स्वामी नारायण धाम इन्दरनेशनल स्कूल गुजरात के गान्धी नगर से की 9 से 12वी तक की शिक्षा सन ग्लो इन्टरनेशनल स्कूल रेवाडी हरियाणा से की किन्तु जीवन का ऐसा मोड भी आया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लेने के बाद जब मन नही लगा तो एक वर्ष की शिक्षा लेकर ही इंजीनियरिंग छोड होटल मैनेजमेन्ट के लिये चण्डीगढ यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया इंजीनियरिंग इसलिए छोड दी कि दिमाग में एक्टिंग करने का जज्वा था और उसके बाद मुम्बई आकर केवाईसी कम्पनी को ज्वाइन किया जब वहां पर काम की व्यस्तता ज्यादा देखी तोवहां से भी काम छोड अस्मिता थियेटर में मि0 सिमांषु से एक्टिग का प्रशिक्षण लेने लग गये और एक कम्पनी में काम भी ढूढ लिया ताकि दो वक्त की रोटी कमाई जा सके।
इस प्रकार जीवन भाग दौड में बीतता गया और सोशल मीडिया के जमाने में इन्टा पर धीरे धीरे प्रचलित होने लगे।
कृष्ण टुटेजा से बातचीत के समय उनके मुखारबिन्दु से निकलने वाले शव्द गुलाब की मंखुडियो की भांति गिरते नजर आ रहे थे उनकी मृदुभाषिता, मधुर व्यवहार, अनुशासन आदि आदि से उनके चरित्र का वर्णन स्वत: ही हो रहा था कि व्यक्ति व्यावहारिकता में कितना प्रवीण है और कुशल भी है। तो पितामह के सम्पादक का वास्तविक स्टोरी और एक कहानी लिखने का मन किया। यह पूरी की पूरी कहानी सत्यता पर आधारित है इसमें कोई लाग लपेट नही है।
पितामह कृष्ण टुटेजा के उजवल भविष्य की कामना करता है। और अपने पाठको से अपील भी करता है। कृष्ण टुटेजा को इन्टा के Krishantuteja_ फालो करे और युवक की उन्नति के लिये उसका उत्साह वर्धन भी करें ।