पीएनएन अपडेट :— प्रेस नोट आया तो छापा।

पांवटा साहिब — शहर में पत्रकार के अपहरण, मारपीट, और अगवा कर बन्धक बना जबरन वीडियो बनाने के मामले में पुलिस के हाथ अहम सुराग लग चुके है। जो कि पुलिस प्रशासन ने कडी मेहनत मशक्कत करते हुए सीसीटीवी कैमरो से ढूढ निकाले हेै । इस मामले में अभी हाल ही मे व्हाट्स अप पर एक नोटिस भेजा गया है शिलाई क्षेत्र के गिरीपार पत्रकार परिषद केअध्यक्ष ने कि ऐसी कोई मीटिंग नही हुई है जब कि उसी परिषद के महासचिव ने पत्रकारो को प्रेस नोट बनाकर भेजा है। जिसकी पुष्टि उसके स्क्रीन शाट से हो रही है । हालांकि मामला दो पत्रकारो के बीच आपसी विवाद का था जो कि सुलझ चुका है​ किन्तु कुछेक लोग अपना अपना वर्चस्व दिखाने की फिराक में महा सचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार के प्रेस नोट को झुटला रहे है और ऐसे व्यक्तित्व के प्रेस नोट को झुटलाने के प्रसारत है जो कि सरकार द्धारा प्राधिकृत यानि कि एक्रिडिटेड पत्रकार है। और यदि सरकार ने उसे मान्यता प्रदान की है। और गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार उसको झूटलाने लगेतो यह तो अपने आपमें ही हास्यास्पद हो जाता है। कुल मिलाकर पीएनएन ने सदैव सत्यता, निर्भीकता, निडरता और निष्पक्षता के साथ बीते 30 वर्षो से लगातार शहर के अवाम के हित में खडा रहा है। ओर जोकुछ भी बीते दिनो में घटित हुआ है। वह निन्दनीय है। शहर का आम नागरिक शहर के बुद्धिजीवी दबे शव्दो में गुण्डो के भय के कारण जुबां नही खोल पा रहे है। इनमें कुछेक व्यक्ति ऐसे है जो निहायत ही सडकछाप है।

खासबात तो यह भी आज दिन भर के घटनाक्रम में सामने आई है कि जो व्यक्ति प्राथमिकी में मुख्य आरोपी है। वह ही जिलाधीश सिरमौर को ज्ञापन भेज मीडिया पर अंगुलियां उठा रहा है। और तमाम मीडिया को यह भी पता है कि रैनबैक्सी से दारूवाजी और अय्याशी के चक्कर में निकाले गये किसी शर्मा जनरल मैनेजर की रहनुमाई पर मजदूरो काठेका मिला था ओर उसके बाहर निकलते ही उस भृष्ट, सडकछाप ठेकेदार को रैनबैक्सी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस प्रकार के काले कारनामे और भी जग जाहिर है। हालांकि पीएनएन इन बातो का प्रंकाशित नही करना चाहता था और जनहित मेंयह उचित भी नही है किन्तु जब शहर के तमाम मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को ललकारा तो सुनना तो पडेगा ही।हकीकत यह है कि प्रेस नोट आया महासचिव ने भेजा और प्रकाशित किया गया।

मीडिया कर्मी ऐसे लोगो के व्यान कम्पनियो से सम्ब​न्धित इस लिये प्रकाशित करने से गुरेज करते है कि उनके व्यान में मजदूरो को लेकर कही ना कही आर्थिक लाभ की बू आ रही होती है।

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