देवभूमि कही जाने वाली गुरू महाराज की नगरी पांवटा साहिब में जो घटना या कहे जो साम्प्रदायिकता फैलाने का षडयन्त्र जिस प्रकार प्रशासनिक अधिकारियो की दूरदृष्टा सकारात्मक सोच के चलते निष्फल हुआ जिसकी सर्वत्र प्रशंषा हो रही है। डाइनामिक प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम पांवटा गुन्जीत सिंह चीमा ने जिस प्रकार स्थिति को नियत्रित किया और अंगद भांति भीड़ को शान्त करने और हर स्थिति से मुकम्मल तरीके से निपटने को तैयार रहे और अधिकांशतया लोगो की मानसिकता को देखते हुए विफल कर दिया जिसे लेकर शहर का अधिकांश युवाओ की भीड अब उनके कार्यालय में जाकर सम्मानित करने लगी है कूछेक मीडिया हाउस को छोडकर अधिकांशतया मीडिया हाउस गुन्जीत सिंह चीमा की व्यवहार कुशलता को देखते हुए उनके पक्ष में उतर आए है। हालांकि अन्धभक्त इस मामले को विभिन्न प्रकार से शहर का माहौल खराब करने की नीयत से ऐसे कर्मठ, ईमानदार और कार्य के प्रति समर्पित व्यक्ति पर कुछ भी नही मिला तो एक अनावश्यक बात को तूल देने के विफल प्रयास करते हुए दिखाई देरहे है।
जिस प्रकार शहर में साम्प्रदायिकता का ताण्डव करने की मंशा विफल हुई तो अनावश्यक ड्रामेवाजी और व्यानवाजी कर अपनी मानसिकता का परिचय देने में भी कोई कोर कसर नही छोड रहे है।
इधर पुलिस प्रशासन ने जिस सूझ बूझ से काम लिया वह भी काबिलेतारीफ है हालांकि कई पुलिस कर्मियो को भारी चोटे आई है और स्थिति को नियंत्रित करने की मंशा से अपने हाथ में स्वरक्षा के लिये डण्डा लेना कोई अपराध नही है जिसका कि उल्लेख दस्तावेजो में उपलव्ध है कि उप मण्डलीय दण्डाधिकारी जब जिलाधिकारी ना हो तो वह पुलिस का आला अफसर होता है। जिसके प्रमाण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है।
अब अधिकारी गुन्जीत सिंह चीमा की बात करे तो वे युवा अधिकारी है काम करने का जज्वा है। कुछ ही समय पूर्व प्राकृतिक आपदाओ के समय गुन्जीत सिंह चीमा और ऋिषभ शर्मा नंगे पांव कीचड और दल दल में नंगे पांव लोगो की सेवा के लिये दिन रात तत्पर रहे। यह हम नही कह रहे है यह सत्यता तो चित्र बयां करते है।
हैरत की बात है कि प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष एक एचएएस अधिकारी के उपनाम का उच्चारण भी सही तरीके से सार्वजनिक मंत्र पर नही कर सकते जिसकी सर्वत्र निन्दा हो रही है। नेता प्रतिपक्ष के सार्वजनिक सभा में दिए गये व्यान के बाद सिख संगठन भी गुन्जीत सिंह चीमा के पक्ष में उतर आए है। इधर अन्धभक्तो की मानसिकता को देखते हुए युकां भी मैदान मे आ गयी है और युंका ने तो अधिकारी की निडरता निर्भयता और बेबाकी से जवाब देने की हिम्मत की तारीफ करते हुए उनके कार्यालय में जाकर सम्मानित भी कर डाला।
इतना ही नही शहर का हर बुद्धिजीवी एसडीएम पांवटा की तारीफ ही कर रहा है साथ ही पुलिस प्रशासन को बधाई भी दे रहा है कि जिस प्रकार स्थिति को नियंत्रित किया वह काबिलेतारीफ है।
अब यहां एसडीएम पांवटा गुन्जीत सिंह चीमा का सवाल बडा ही वजनदार है कि जो शान्तिपूर्ण प्रदर्शन करने आए थे तो उनके हाथो मं डण्डे और लाठी क्यू थे। कुल मिलाकर प्रशासनिक अधिकारीयो ने एक बडे षडयन्त्र को साम्प्रदायिकता की भट्टी में झौकने का जो प्रयास किया गया था वह नाकाम कर दिया और अपनी दूरदृष्टिता अपनी काबलियत का परिचय दे डाला। एसडीएम पांवटा पहले भी अपनी बात पर अडिग थे और आज भी अडिग है जनता का उन्हें भरपूर सहयोग समर्थन मिल रहा है।
किन्तु बात यह भी है कि एक एचएएस अधिकारी जो इतनी कठिन परीक्षा पास करके आया होता है जो कि आगामी समय में निश्चित तौर पर आईएएस की कुर्सी पर भी बैठेगे ऐसे पढे लिखे नौजवान अधिकारी के नाम का उच्चारण सही तरीके से लेना चाहिए था।