वर्तमान समय मे पांवटा में बतौर उप मण्डलीय दण्डाधिकारी एसडीएम गुन्जीत सिंह चीमा एक अधिकारी तो है ही इसके अलावा मीडिया सहित आम युवाओ के समूचे के समाज के दिलो की धड़कन भी है। लोगो के इतने चहेते अफसर है कि उनसे मिलने के लिये लोग पलक पावडे बिछाने के लिये आतुर रहते है। वह हर समाज का हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई अल्पसंख्यक हो गरीब हो या अमीर सभी के साथ व्यावहारिकता में एक समान व्यवहार रखते है खासकर गरीबो के, आम जन मानस के लिये मसीहा बनकर पांवटा साहिब में तैनात है। कुछेक समय पूर्व जिला में प्राकृतिक आपदा के समय अपनी जान की परवाह किए बगैर ही नंगे पांव उन्हें चौबीस चौबीस घन्टे काम करते देखा गया था और दिन रात एक कर आम जन मानस को हर सम्भव सहायता राहत कार्यो में जुटे देखे गये थे। इतना ही नही उनके साथ तहसीलदार पांवटा ऋिषभ शर्मा भी कन्धे से कन्धा मिलाकर दिन रात एक जुट हो जनता की सेवा में जुटे देखे गये थे और हर सम्भव प्रयास भी आम जन मानस को पीढित परिवारो का दुख दर्द बांटने कैम्प लगाकर बेघर हुए लोगो को खाना आदि पहुचाने तथा दिन में दो दो बार उनका हालचाल पूछने और हर आफीशियल काम करते हुए भी लोगो की मदद और उनकी देखभाल करते देखे गये थे। ना तो पानी देख रहे थे ना बारिश देख रहे थे और ना ही कीचढ नंगे पांव ही उनको दलदल में घुसकर मौके का जायजा लेते देखा गया था। ठीक उसी तर्ज पर उनके साथ डीएसपी पांवटा मानवेन्द्र ठाकुर ने भी अपने पुलिस के जवानो को लेकर जनता की सेवा सश्रुशा में कोई कोर कसर नही छोडी थी। यह हम नही कह रहे सभी कुछ तस्वीरे बयां करती है। उस समय मे भी पितामह ने एक एक मिनट की कवरेज करते हुए आम जन मानस के समक्ष पुलिस और प्रशासन के कार्यो को जनता के समक्ष रखा था।
अभी हाल ही में हुए माजरा काण्ड को लेकर जिस प्रकार राजनैतिक रोटियां सैकने का प्रयास किया गया वह सर्वथा गलत रहा। इस सारे के सारे प्रकरण में साम्प्रदायिकता फैलाने की झलक देखी जा सकती थी जो कि स्थानीय जनता को बुद्धिजीवियो को हजम नही हो रही थी लडकी को लेकर जिस प्रकार का हो हल्ला किया गया वह सर्वथा गलत ही था। पुलिस अपना काम कर रही थी इसी दरम्यान लगभग 7 से 8 गुमशुदगी के मामले थे जो कि मानवेन्द्र ठाकुर के नेतृत्व में बडी ही कुशलता और सादगी अपनाते हुए साइबर सैल की टीम और मिसिंग टीम के स्पेशलिस्ट जवानो ने कई युवतियो को उनके घर तक पहूंचाते हुए आम जन मानस को हवा भी नही लगने दी और निश्चित समय पर लडकियो को बरामद किया। अब यहां सवाल उठता है कि कीरतपुर माजरा काण्ड को लेकर जिस प्रकार की राजनैतिक दखलन्दाजी शुरू हुई वह लोगो को नागवार गुजरी।
रही एसडीएम के हाथ में डण्डे लेने की बात तो स्वरक्षा में जब इतना भयंकर रूप से पथराव शुरू किया गया जिसमें ड्यूटी पर तैनात कई पुलिस कर्मी जख्मी हुए कई महिला पुलिस को भी चोटे आई वह घटना बडी ही शर्मनाक रही जिसकी जितनी निन्दा की जाए कम है।
और बात की जाए गुन्जीत सिंह चीमा की तो वे युवा, बुद्धिमान, दूरदृष्टा, अनुशासनप्रिय और सच्चे दिल के कठोर इंसान भी है जहां तक ड्यूटी और कानून व्यवस्था की बात की जाए तो चीमा के लिये सूर्य को रोशनी दिखाने के समान होगा। गुन्जीत सिंह चीमा एक कर्तव्यनिष्ठा, सरलता, सहजता और की भी मिसाल माने जाते रहे है। उन्होने स्थिति को भांपते हुए जो भी उन्होने और उनकी टीम ने निर्णय लिया वह सही था और साम्प्रदायिकता भडकाने वालो के बीच दीवार बनकर खडे हो गये और माहौल् को नियंत्रित किया इसमें सर्व प्रथम बतौर एसडीएम गुन्जीत सिंह चीमा, डीएसपी पांवटा मानवेन्द्र ठाकुर, डीएसपी हैडक्वाटर रमाकान्त और अतिरिक्त् पुलिस अधीक्षक योगेश रोल्टा और पुलिस अधीक्षक निश्चिन्ति सिंह नेगी ने काबिलेतारीफ भूमिका निभाई। इतना ही नही पुलिस के जवानो ने जिसमेें खुफिया तंत्र, सुरक्षा तंत्र, ने भी पल पल की जानकारी सादी वर्दी में आला अफसरो को लगातार भेजते रहे और मामले पर पूरी पूरी रात इलाके में घूमकर पैनी नजर बनाए रखी।
अब सवाल तो यह भी है कि जब शान्तिपूर्ण प्रदर्शन था तो मुंह पर रूमाल लेपेटे हाथो में डण्डे लेकर आने वाले कौन कौन थे जिनकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है। और निज रक्षा में हाथ में डण्डा लेकर चलना कोई अपराध नही है जब कि माहौल देखते हुए मौका के सबसे बडे अफसर चीमा ही थे।
प्रशासन की इस प्रकार की कार्यवाही,जिसने एक बडे साम्प्रदायिक दंगे को लेकर जो भी रणनीति बनाई वह सराहनीय है। प्रशंसनीय है और जनहित में लिया गया एक अच्छा कदम है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रदर्शन, आन्दोलन होना स्वाभाविक तो है ही किन्तु डण्डे हाथ मे लेकर प्रदर्शन करना अपने आप में उग्र प्रदर्शन और साम्प्रदायिकता फैलाने का संकेत मात्र ही माना जाएगा।