पीएनएन ब्रेकिंग :— वायरल फर्जी वीडियो के बाद क्रशरो पर काम बन्द। कोई भी बडा कदम उठा सकते है क्रशर मालिक। —— मदन शर्मा

पांवटा साहिब :— फेस बुक पर शहर के तमाम स्टोन क्रशर मालिको सहित माइनिग आफीसर को बदनाम और ब्लेकमेल करने की नीयत से डाले गये फर्जी वीडियो को इस प्रकार से एक्सपर्ट ने बनाया कि वह सही सा साबित हो। मोटिव तो मात्र यह था कि तमाम स्टोन क्रशर मालिक महीना बांध दे और चांदी कूटी जा सके।

यह कहा मदन शर्मा ने :— सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी शरारती तत्वों द्वारा स्टोन क्रशर से जुड़े संचालकों और खनन विभाग के अधिकारीयों की छवि को धूमिल करने की मंशा से वीडियो पोस्ट की जा रही है। 2 जनवरी को फेसबुक के एक अकाउंट से पहली पोस्ट डाली गयी जिसके सन्दर्भ में पुलिस को शिकायत की जा चुकी है। कुछ घंटो पहले एक और पोस्ट सोशल मीडिया पर अन्य अकाउंट से डाली गयी है जिसमे अन्य स्थानों के वीडियोज जोड़कर सिरमौर में चल रहे लीगल माइनिंग को इल्लीगल साबित करने की शरारत की गयी है। साथ ही खनन विभाग के अधिकारीयों के खिलाफ निराधार बातें कही गयी है। सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट डालने वाले की मंशा क्या है ये तभी पता लग सकता है जब पुलिस की IT टीम इन सोशल मीडिया यूजर तक पहुँच पाएगी। हमे पुलिस प्रशासन से सहयोग चाहिए की वे ऐसे शरारती तत्वों को जल्द से जल्द बेनकाब करें ताकि खनन व्यवसाय पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
The सिरमौर स्टोन क्रशर वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से हम आपको बताना चाहते है की पांवटा साहिब क्षेत्र में स्टोन क्रशर के लिए जो खनन किया जा रहा है पूर्ण रूप से लीगल है , सरकार को करोडो का राजस्व के साथ साथ DMFT , रॉयलिटी पर 18 % GST , पंचायत टेक्स ,फिनिशिंग गुड्स पर GST , प्रदेश सरकार को CGCR सहित आयकर विभाग को TCS और स्थानीय प्रसाशन के साथ CSR एक्टिविटी के लिए आर्थिक सहयोग किया जाता है।
X फोरम के माध्यम से प्रति ट्रक राजस्व सरकार को जाता है , पट्टा धारक एडवांस के रॉयलिटी जमा करवाते है और जमा की गयी रॉयलिटी समाप्त होते ही साथ के साथ फिर से रॉयलिटी जमा करवाते है, क्रशिंग मशीनों से जितना माल गुजरता है उसके अनुसार जो बिजली के बिल आते है उसके अनुसार रॉयलिटी व् अन्य राजस्व की दरें हर महीने निर्धारित की जाती है। हज़ारों लोगो का रोजगार खनन व्यवसाय से जुड़ा है।
बावजूद इसके एक आध ऐसे लोगो द्वारा खनन व्यवसाय और अधियकारियों की छवि को धूमिल किया जा रहा है जो अपनी पहचान छुपा कर सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे है। बार बार सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारीयों व वैध खनन व्यवसाय को अवैध करार देने वाले शरारती तत्वों तक पुलिस पहुंचे और उनकी पहचान का सार्वजानिक करें।

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