पीएनएन :— हार वही मानता है जो रास्ते बदलता है। :— चीमा।

पांवटा साहिब — कहावत जग जाहिर है और एक ऐसे युवा अधिकारी पर एकदम सटीक बैठती है ” होनहार विरवान के होत चीकने पात’ नाम है गुन्जीत सिंह चीमा जो कि वर्तमान में बतौर उपमण्डलीय दण्डाधिकारी पांवटा साहिब मे तैनात है।

इनकी कहानी भी बडी ही जद्दोजहद, कर्मठता, परिश्रम, और अर्जुन की भांति सिर्फ और सिर्फ मछली की आंख ही दिखाई देना जैसी रही है। एक छोटा सा कमरा और परिश्रम के साथ साथ ऐसी सौगन्ध कि किसी भी प्रकार सिविल सर्विस में जाकर लोगो की सेवा, कर्तव्यपरायणता का परिचय देते हुएर ईमानदारी से लोगो की भलाई लोगो हितार्थ ेजीवन समर्पित कर देना रही है।

पढाई पूरी करने के बाद एक दम से इनफोसिस में प्राइवेट नौकरी में काम किया किन्तु निशाना कही और ही था आईआईएम से एमबीए करने का सपना देखा, केट क्लीयर किया किन्तु सपना कुछ और ही था दिलो दिमाग मेें यूपीएससी क्लीयर करना ही दिन रात दिख रहा था। केैट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद किसी कारणवश प्रवेश नही लिया।

न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स में बतौर एडमिनिस्ट्रेटिव आफीसर बनकर चेन्नई गई और दिलो दिमाग में सिविल सेवा ही हिलोरे मार रहा था। वहां एक छोटा सा कमरा लिया और नया अध्याय लिखना शुरू कर दिया।

इस दौरान हालातो में कुछ परिवर्तन दिखाई दिया अनायास किसी मित्र को अपने कमरे में शरण दी तो पढाई का एकान्त चला गया किन्तु हार नही मानी इसके बाद पूरे एक साल तक दिन ढले सो जाना और रात्रि में दो उठकर पढाई करना यानि कि यूपीएससी की तैयारी करना उसके बाद प्रात: 9 बजे से लेकर 6 बजे तक नौकरी करना उसके बाद रात्रि भोजन करना कमरे पर पहूचना और थोडी ही देर में सो जाना ही रोजमर्रा की जिन्दगी में शामिल हो गया किन्तु पढाई का जज्वा जो दिलो दिमाग में घूम रहा था जो सपना लेकर चेन्नई गये थे वह भी पूरा करना था तो रात्रि में दो बजे बिस्तर छोड देना और पढाई में जुट जाना। और लगभग चार पर यूपीएससी की परीक्षा देना हर बार यूपीएससी की मुख्य परीक्षा दी नौकरी करते हुए और अन्ततोगत्वा 2016 में खण्ड विकास अधिकारी के पद पर नियुक्ति पाई किन्तु यहां भी अभी मंजिल पूरी तरह से नही मिल पाई थी। और उसके बाद पांवटा में बतौर बीडीओ रहकर नई मेज कुर्सी खरीदी और फिर से पढाई शुरू कर दी और 2018 में एचपीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर उप मण्डलीय दण्डाधिकारी बन अपने राज्य का तो नाम रोशन ही किया साथ साथ अपने माता पिता का भी नाम रोशन किया।।

एसडीएम बनने के बाद :— जैसे ही पांवटा में बतौर एसडीएम का पद पर पदासीन हुए प्राकृतिक अपदाओ ने भी उनकी परीक्षा ली। तीन राज्यो की सीमा से घिरे पांवटा साहिब में प्राकृतिक आपदाए आई और उन्होने हार नही मानी लगभग 36 — 36 घन्टे लगातार मैदान में लोगो के बीच जाकर उनके हालचाल पूछे जो भी सम्भव सहायता मुहैया करनी पडी करवाई और उस दौरान कई उनके चित्र सोशल मीडिया पर वायरल हुए कि नंगे पांव ही अपने साथी ऋिषभ शर्मा को लेकर बेघर हुए लोगो के रहने खाने का इन्तजाम करने मे कोई कोर कसर नही छोडी। इतना ही नही सोशल मीडिया पर सतर्क रहते हुए एक एक गतिविधि पर पैनी नजर बनाए रखी कि कहां क्या हो रहा है जैसे ही कोई पोस्ट,फोटो, वीडियो डाली जाती मीडिया से पहले वहां पहूंच कर तेज बारिश में भीगते हुए मौका मुआयना करने मे कोई कसर नही छोडी जिस प्रकार अपनी पढाई को अपने जीवन का लक्ष्य माना प्राकृतिक आपदा के समय भी लोगो की भलाई अपने कर्तव्यपरायणता, समाज के प्रति जवाब देही से भी पीछे नही हटै और मैदान में डटै रहे। यही उनकी नेक नीयती, कर्मठता, ईमानदारी और मानवता की मिसाल कायम करते हुए। दृढ निश्चय पर डटे रहे।

युवाओ से अपील :— गुन्जीत सिंह चीमा ने युवाओ से अपील करते हुए कहा है ” दृढ़ निश्चय पर बढ़े चलो चरणो में लक्ष्य झुकेगा। यह भी कहा है कि हार वही मानता है जो रास्ते बदलता है। और जो हालात से नही डरता वह इतिहास भी लिखता है। उनका यह भी कहना है कि ” नीद शान्ति और अकेलेपन की कुर्वानी दे सकते हो तो कोई भी सपना साकार होने में देरी नही है।

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