पीएनएन ब्रेकिंग — बुरी तरह पिटी सांस्कृतिक संध्या। लोगो ने किया किनारा। खाली पडी रही कुर्सियां।

पांवटा साहिब — शरद ​ऋितु के अवसर पर मनाया जाने वाले शरद महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या बुरी तरह से पिट गयी। समूचे आयोजन बैण्ड की भैट चढ गया। बैड बजाने वाले की ध्वनि इतनी तीव्र थी कि गायक की आवाज और उनकी ध्वनि से ज्यादा तीव्र ध्वनि बैड की थी। समूची सांस्कृतिक संध्या में हो हल्ला ढोल ढमाके तीव्र ध्वनि से बजते रहे। हालांकि अन्तिम प्रस्तुति देने वाले गायक ने थोडा बहुत समां बाधने का प्रयास किया और दो तीन मिस्क गानो पर लोगो को थिरकने को मजबूर किया और अन्तिम दीर्धा में बैठे दर्शक/श्रोताओ ने गानो पर ठुमके भी लगाए। जो कि सभी के सभी मजदूर तबके के ही दर्शक थे। वीआईपी की प्रथम दीर्घा में मुख्यातिथि के आगमन पर कुछेक लोग अवश्य देखे गये हालांकि वीआईपी पण्डाल भी अधिकांशतया खाली रहा और कुल मिलाकर इस आयोजन से स्थानीय लोगो ने एक तरह से किनारा सा कर लिया।

इधर वायस और सिरमौर मे भी भेदभाव पूर्ण रवैया निर्णायको का रहा आम जनता की आवाज सिमरन की मधुर कण्ठ के लिये उठती रही किन्तु निर्णायक मण्डल ने यहां भी भेद भाव कर रेवडियां बांटने का काम किया। इतना ही मंच से अधिकांशतया भाडे पर आए कलाकार प्रशासन की बटरिंग में लगे रहे इतना ही नही मंच से बार बार एक कलाकार ने षाष्ठांग चरण स्पर्श तक करने को बार बार बोला। वही दूसरी ओर स्टेण्डिग कमेडियन कोई खास छाप छोड कर नही जा सका। उसकी कामेडी में कोई नयापन नही दिखा। ना तो हास्य ही दिखा और ना किसी प्रकार का व्यंग्य दिखा और दो चार मिनट के बाद ही अपने स्थान पर वापसी कर ली।

स्थानीय प्रशासन द्धारा वायस आफ सिरमैार की प्रथा की एक अच्छी शुरूआत कर नए कलाकारो को जिनमें टैलेन्ट व्याप्त है और मंच नही मिल पा रहा तो ऐसे कलाकारो को नया मौका देने का प्रयास किया गया किन्तु निर्णायक मण्डल का निर्णय स्थानीय लोगो को हजम नही हो रहा। सम्भवतया निर्णायक मण्डल में कुछेक ऐसे भी हो सकते है जिनको संगीत का क, ख, ग भी ना आता हो। बेहद अच्छे सुर में गाने वाली सिमरन नामक गायिका को खुड्डे लाइन लगा दिया जिससे बच्चे का हौसला तो टूटा ही होगा और मानसिक पीढा भी हुई होगी ऐसी सम्भावनाए प्रकट की जा रही है। कुल मिलाकर वायस आफ सिरमौर में जो सलेक्शन हुई वह जनता को हजम नही हो पा रही।

आयोजन से पूर्व बतौर मुख्यातिथि जिलाधीश सिरमौर ने वाकायदा ज्योति प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की और अपने सम्बोधन में लिखा लिखाया भाषण भी पढां जिसमें यम से लेकर कृष्ण तक का वर्णन भी किया गया और गुरू गोविन्द सिंह को भी नही भूले हालांकि सबकुछ पहले से लिखा लिखाया था जो कि पढ दिया गया। अपने सम्बोधन में अपने अधीनस्थ अधिकारियो को दो से तीन बार धन्यवाद किया अच्छे आयोजन के लिये और अच्छी व्यवस्थाओ के लिये ।

मंच से एक नाटी कलाकार ने बार बार तहसीलदार पांवटा का नाम लेकर स्पष्ट संदेश दिया कि वह तो उन्ही की सिफारिश पर आया है अपने सम्बोधन में तीन बार तहसीलदार पांवटा नाम ​लिया और धन्यवाद भी किया। एक अन्य नाटी कलाकर तो मंच से चीख चीख कर गाने गा रहा था और तीन चार गाने गा डाले ना सुर ना ताल तीव्र ध्वनि से बजने वाले म्यूजिशयनो के ढोल नगाडो की आवाज में चीखने को मजबूर होना पड रहा था। किन्तु गायन में ना तो कोई सुर ​था और ना ही ताल थी मंच से सिर्फ और सिर्फ गायन में चीखने की आवाज के अलावा कुछ नजर नही आया दर्शको को।

मुख्यातिथि ने सर्व प्रथम मां यमुना के तट पर जाकर आरती की और मां यमुना के आचंल में दीप प्रवाहित​ किए। तत्पश्चात मंच पर शाल और टोपी पहना कर अतिथि देवो भव: की परम्परा का निर्वहन भी किया गया साथ ही आयोजन की अध्यक्षता कर रहे पुलिस कप्तान सिरमौर को भी ससम्मान टोपी और शाल पहनाकर सम्मानित किया गया और उसके बाद विधिवत आयोजन की शुरू आत हुई। इससे पूर्व सभी अतिथिगण मां यमुना के मंच पर जूते चप्पल पहन कर चढ गये और ज्येाति प्रज्वलन जूते चप्पल उतार कर ही किया गया।

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