पांवटा साहिब — शान्तिप्रिय शहर में अनायास एक ऐसी घटना घटित होती है जिससे हिन्दूवादी संगठनो ने जोर पकड लिया। कारण था कि एक लडकी को गैर हिन्दू भगाकर ले गया और शादी रचा डाली। इसी बात को लेकर हिन्दूवादी संगठन नाराज हुए और डा0 राजीब बिन्दल के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन आदि आदि कर डाला। हालांकि पुलिस धरना प्रदर्शन और चेतावनी के बाद पुलिस ने जोरदार गति पकडी। यहां यह भी बताते चले कि जैसे ही मामले ने तूल पकडा वैसे ही प्रदेशभर के पुलिस के आला अफसर इन मामलो पर नजरे बनाए रहे और समय समय इनपुट लेते रहे कि क्या स्टेटस है।
सिरमौर जिला के साइबर एक्सपर्ट मामले पर पूरी पूरी रात नजर बनाए रहे और अन्ततोगत्वा रोपड से युवती को बरामद कर लिया।
यहां यह भी कहना अपरिहार्य ना होगा कि जितनी अकर्मण्यता और लापरवाही पुलिस की रही उससे ज्यादा अकर्मण्यता अभिभावको की होती है। सर्व प्रथम अभिभावको को माता पिता बडे भाई बहिनो को बच्चो केे हाथ में मोबाइल नही देना चाहिये जब तक पढाई की उम्र है उससे भी ज्यादा विभिन्न किस्म के डिजिटल एप्प् पर भी ध्यान देना चाहिये कि किससे कहां कहां दोस्ती हो रही है और बाते हो रही है छुप छुप कर किससे और क्या क्या बाते हो रही है। कहते है कि बच्चे की पहली गुरू उसकी मां होती है मां को ध्यान रखना चाहिये कि बच्चे को अधिक से अधिक व्यस्त रखे पढाई के बाद मैदानी खेल खेलने का समय दे मोबाइल का प्रयोग कम करने दे उसके बाद हस्त शिल्प की कोई भी शिक्षा दीक्षा दिलवाऐ जिससे वो हाथ की कारीगरी सीख सके जैसे सिलाई कटाई बुनाई या हाथ से करने वाले किसी भी अन्य व्यवसाय की शिक्षा प्रशिक्षण दिलवाऐ ताकि बालक या बालिका व्यस्त रहे। आजकल के भौतिकवाद के युग में माता पिता अपने बच्चो को स्कूटी, मोटर साइकिल, मंहगा मोबाइन आदि देकर किसी भी गलत कदम के लिये खुद ही प्रोत्साहित करते है।
देखने में यह भी आया हे कि शरीफ बापो की बिगडैल औलादे शहरभर में मोटर साइकिल, स्कूटी यहां तक कि चार पहिया वाहन भी नाबालिग बच्चे लेकर तीव्र गति से दौडाते दिख जाते है और पुंलिस द्वारा चालान काटे जाने पर सोर्स सिफारिश अपनी पहुूंच, नेताओ विधायको और मंत्री तक दिखाने में कोई कोर कसर नही छोडते।
अब बात रही एसडीएम के हाथ में डण्डा लेने की तो माहौल ही कुछ ऐसा था कि मजबूरन जब एसडीएम को ऐसा लगा कि भीड बेकाबू हो सकती है तो बतौर जिलाधीश की पावर रखते हुए उन्होने हाथ में डण्डा लिया अन्यथा बहुत ही व्यवहार कुशल, जनहित के मामलो पर विशेष ध्यान रखने वाले आम आदमी और गरीब की समस्या तहेदिल से रखने वाले अधिकारी कहाए गये है। बात बहुत छोटी सी है किन्तु सोशल मीडिया के जमाने में तिल का ताड बना दिया और बात का अतंगड़ बना दिया।
ऐसा भी नही है कि पुलिस काम नही कर रही थी पुलिस अपना काम कर रही थी किन्तु सही बात तो यह भी है कि पांवटा जैसा संवेदनशील इलाका होने के कारण एक एक पुलिस कर्मी पर जरूरत से ज्यादा कार्य का बोझ है ऐसे कई पुुलिस कर्मी पांवटा व उसके आस पास के थाने में मौजूद है जो अभी भी 18 — 18 घन्टे लगातार काम में जुटै हुए है। देापहर का खाना भी कई बार खडे खडे खाते हुए देखा गया है।
आला अफसरो को चाहिए कि ऐसे इलाको में अतिरिक्त् पुलिस जवानो की तैनाती सुनिश्चित करेऔर जेसा कि समय चल रहा है साइबर के मामले ज्यादा बढ रहे है ठीक उसी प्रकार पुलिस महकमे में भी साइबर का प्रशिक्षण देते हुए साइबर एक्सपर्ट की अधिकाधिक संख्या में तैनाती करे ताकि मामले जल्दी से जल्दी निपटे और इस प्रकार के माहौल का सामना ना करना पडे।