पीएनएन स्टोरी :— फर्जी महिला, फर्जी पत्रकार, फर्जी शिकायत, फर्जी पता और झूठ का पुलिन्दा।

पांवटा साहिब — मामला कई बार पुलिस के पास पहूंच गया है। महिला की शिकायत पर पुलिस उस शिवानी नामक महिला को ढूढ रही है जिसका पता लिखवाया गया है। शिकायत में फर्जी महिला पत्रकार ने दर्ज करवाया है कि वह हाल निवासी शिवानी वार्ड नम्बर 5 में किराए पर रहती है। और जब पुलिस ने पता किया तो पता चला कि वहां चार से पांच महिलाओ के नाम शिवानी है अब सवाल है कि वह किसके मकान में किराए पर है। और जब पत्रकारो ने चारो पाचो शिवानी नामक महिलाओ से बातचीत की तो सभी दो टूक मना ​कर दिया कि मार्च अप्रेल में उनके यहां इस नाम की कोई महिला किराएदार नही थी और ना ही है। जब कि शिकायत में हाल निवासी वार्ड नम्बर 5 बताया गया।

इसके अलावा महिला ने फर्जी तौर पर पत्रकारिता यहां करती रही जो कि मूल रूप से जिला चम्बा निवासिनी बताई जाती रही है। और गाडी के लिए लिये गये लोन में भी फर्जीवाडा कर गयी जिसकी शिकायत माजरा थाने में की गयी है कि गारन्टर को पता ही नही और महिला ने किसी और बहाने से युवक का आधार कार्ड कव्जाया और उसके बतौर गारन्टर दर्शा दिया। जब कि गारन्टर के किसी भी प्रकार के हस्ताक्षरित चैक बैक में नही है।

इतना ही नही महिला ने एक निजी व्यवसाई से लाखो का कर्जा उठाया और पैसा लेकर रफूचक्कर हो गयी । जिस बारे में कानूनी कार्यवाही भी अमल में लाए जाने की सम्भावनाओ से इंकार नही किया जा सकता।शहर के बुद्धजीवी बताते है कि पत्रकारिता का तो महिला ने चोला ओढ रखा था और कई लोगो के साथ फजीवाडा करके चम्पत हो गयी है। जिसमें एक नाबालिका के तीन हजार रूपये भी इसी महिला के पति ने चोरी किए थे।वह मामला भी शीघ्र ही प्रकाशित होने की सम्भावनाऐ प्रबल हो गयी है

इतना ही नही जिस समाजसेवी / व्यवसाई से लोन लिया उसी के बारे में झूठी और मनगढन्त फर्जी टाइप के डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म पर समाचार प्रकाशित कर बदनाम करने की पुरजोर और नाकाम कोशिश भी की गयी।

लोगो से बातचीत करने पर स्थानीय बुद्धिजीवियो ने बताया कि संदीप लोगोवाल एक भले मानुष है हर गरीब की मदद करने के लिये सदैव तत्पर रहते है और समय आने पर अपनी हैसियत के अनुसार यथा सम्भव मदद भी करते है औरउनके पक्ष में माजरा थाने में बीते दिनो सैकडो की संख्या मे लोग भी एकत्र होगये थे जिसमें महिलाए, पुरूष,युवाओ के अलावा शहर के जिम्मेवार नागरिक और राजनैतिक लोग भी संदीप लोगो वाल के पक्ष में खडे दिखाई दिए।

इतना ही नही महिला ने पांवटा थाने मे शिकायत देने के बाद एक समाचार फिर प्रकाशित किया जिसमें एक अध्यापिका को निशाना बनाया गया और उनका चित्र भी प्रकाशित किया जब कि उस अध्यापिका का इस पूरे केपूरे ऐपीसोड से कोई लेनादेना नही है यानिकि नासमझी और खुन्नसवाजी की इतनी इन्तहां हो गयी कि महिला ने एक अध्यापिका को बदनाम करने के लिये ऐडी से चोटी तक का जोर लगा दिया।

अब चिन्तनीय विषय है कि महिला का जब वाहन लोन से कोई लेना देना ही नही है तो इतनी फुदक फुदक क्यों। पैसे लिए है तो देने तो पडेगे ही चाहे कानूनी रूप से और चाहे नकदी रूप में। सवाल खडा होता है कि पैसा लेने के बाद शहर से बिना बताए भाग जाना और फिर धमकियां भिजवाना कहां तक न्याय संगत है । इससे भी ज्यादा हैरत की बात यह भी सामने आ रही है कि जिन जिन मीडिया कर्मियो ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया महिला उन सभी को फोन करके धमका रही है। यानि कि पैसा उधार लेने के बाद अपने महिला होने के कानून का भरपूर फायदा उठाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है । इतना ही नही महिला का पति भी मीडिया कर्मियो को धमका रहा है।

यह भी विदित रहे कि माजरा थाने में महिला के खिलाफ पहले ही शिकायत दर्ज की जा चुकी है। सत्यता यह भी है कि तमाम मीडिया हाउस के द्धारा मामला उजागर करने के बाद महिला बौखलाई और अपना पंखा उतारने और टूटे फूटे वर्तन उठाने आई थी और जाते जाते थाने मे झूठी शिकायत देकर चली गयी जिसमे कि भावुकता भरे शव्दो काप्रयोग किया गया। जब कि कानून भावुकता से नही सत्यता और सबूतो के आधार पर ही अपना काम करताहै। कहावत चरितार्थ होती है कि ”घर में नही है दाने अम्मी चली भुनाने”

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