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पांवटा साहिब — व्यवस्था परिवर्तन के दूसरे वर्ष में जिला सिरमौर के पांवटा साहिब मे ब्यूरोक्रेसी के भृष्टाचार की परत अग्नि देवता से क्रुद्ध होकर खोल के रख दी है। यहां प्रशासन की नाक तले कबाड खाने की आड़ में चल रही फैक्ट्री की पोल उस समय खुल गयी जब अग्नि देवता ने अपना विकराल रूप लिया और तमाम मीडिया कर्मी पलक झपकते ही मौका—ए—वारदात पर पहूंचे। और अपने अपने कैमरे तान कर पल पल की जानकारी आम जन मानस को देने लगे। तब कही जाकर मामले का खुलासा हुआ कि कबाड खाने की आड़ में प्लास्टिक का दाना बनाने की फैक्ट्री चल रही थी।
इस मामले में कई सवाल तो खडे हो ही गए है और साथ ही बच्ची की मौत ने भी आम जन मानस को झकझोर कर रख दिया है। पहला सवाल व्यूरोक्रेसी से यही खडा किया है कि आखिर दोष किसका । किस की अनुमति से लगाई गयी थी फैक्ट्री। कबाड खाने की अनुमति किसने दी। कहां थी पुलिस कहां था उद्योग विभाग और कहां था राज्य प्रदूषण बोर्ड। किसने दिया बिजली का कनेक्शन। किसकी अनुमति से दिया था बिजली का कनैक्शन। क्या क्या औपचारिकताऐ पूरी की गयी थी। किसके नाम पर था बिजली का कनेक्शन आदि आदि सवाल लोगो के जहन में गूंज रहे है। और मौका—ए—वारदात पर जमा भीड अधिकारियो को खरी खोटी सुनाने से भी परहेज नही कर रही है।
अग्निकाण्ड के बाद जितना पर्यावरण प्रदूषित हुआ सम्भवतया उतना तो पूरे वर्ष में भी नही हुआ होगा। अग्नि शमन विभाग के कर्मचारी भीषण आग को बुझाने में जुटे रहे। मालिक फरार बताया जा रहा है।
देखना तो यह होगा कि अब प्रशासन के लोग इस मामले में क्या कार्यवाही करते है और किस प्रकार की कार्यवाही करते है। और उस चार वर्षीय मासूम की मौत का जिम्मेवार कौन होता है। किसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होती है। आदि आदि सवाल लोगो के जहन में गूंज रहे है।