पांवटा साहिब — शहरभर में अशान्ति, गुण्डागर्दी, चोरी चकारी, उठाईगिरी, बदमाशी हफ्ता वसूली और अन्य कई गैर कानूनी गतिविधियो का साम्राज्य स्थापित हो चुका है। शहर के तो अब तो गांव के लोग भी दहशत के साए में जीने को मजबूर है। किन्तु नए नवेले पुलिस के अनुभवहीन अधिकारी एकदम नाकारा साबित हो रहे है। वे तो सिर्फ व्हाट्सअप व्हाट्सअप खेल रहे है। और गैर जिम्मेदाराना हरकत तोा यह भी है कि सरकारी हास्पीटल में जोरदार हंगामा हुआ तलवारे, गढासियां इलाज करवा रहे लोगो पर चली जिसमें लोग जख्मी भी हुए किन्तु अनुभवहीन अधिकारी ने मौका मुआयना करने की जहमत नही उठाई। इस घटना के बाद शहरभर में सरकार और पुलिस प्रशासन को लेकर नारागियां देखने को मिल रही है।
बीती देर रात का मामला कुछ इस प्रकार सामने आया है कि गांव के जन प्रतिनिधिया के पुत्र डेन्टल कालेज के पास पहूंचे तो कुछ बाहरी लोगो ने उन पर हमला बोल दिया जो कि संख्या में तकरीबन दो दर्जन के करीब थे। यहां यह भी बताते चले कि इसी गुण्डपार्टी ने पुलिस पर भी हमला किया था कुछ समय पूर्व ।
और जब पुलिस इनका इलाज करवाने सरकारी हास्पीटल लेकर आई तो बदमाशो के हौसले इतने बुलन्द थे कि आपातकालीन वार्ड मे इलाज करवा रहे जख्मी लोगो को वार्ड से घसीटकर फिर मारपीट की और पुलिस तमाशबीन बनी रही और अनुभवहीन आईपीएस ने मौका—ए—वारदात तक पर पहूंचने की जहमत नही उठाई। वे व्हाट्सप अप पर समाज में सवाल उठाने वाले सदस्यो को रिमूवल पर अत्याधिक व्यस्त थी। इतना ही नही उन्होने जिला सिरमौर के लाडले अफसर , तत्कालीन डीएसपी मानवेन्द्र ठाकुर को भी ग्रुप से बाहर की ओर धक्का दे दिया। और पांवटा की कुर्सी से भी धक्का सा ही दे दिया।
सनद रहे कि अभी तक आईपीएस अधिकारी यह भी बताने में नाकाम साबित रही है कि निहालगढ में हुए गोलीकाण्ड में हथियार कहां से आए, कौन बेच रहा, कौन खरीद रहा,और आचार संहिता के चलते उनके इलाके में इतनी बडी वारदात को बदमाशो द्धारा दिए गये अंजाम के बाद शहरभर तो क्या गांव के लोग भी दहशत के साए में जी रहे है।
समाचार लिखे जाने कि आरेापियो को गिरफ्तार करने मे पुलिस नाकाम रही है। इस मामले में शहर के कई बुद्धिजीवियो के माथे पर चिन्ता की लकीरे स्पष्ट देखी जा रही है कि इतना माहौल बीते तीन दशको में कभी खराब नही हुआ जितना कि अब देखने को मिल रहा है। कानून व्ययवस्था एकदम चौपट हो चुकी है। बाहरी राज्यो के लोगो का शहर मे लगातार आमद बढ रही है। पुलिस बेखबर है। नाम ना छापने की शर्त पर लोगो ने सरकार से गुजारिश की है कि इस संवेदशनशील स्टेशन पर किसी अनुभवी पुलिस अधिकारी को त्वरित प्रभाव से भेजा जाए।